कोलना : बात सरदार पटेल की हो और पूर्वांचल के जिले मिर्जापुर के अंतर्गत तहसील चुनार के बड़े मानिंद गांव कोलना में स्थित सरदार
पटेल कालेज की न करू हो ही नहीं सकता ! वर्षो से आ रही पटेल की जयंती जितने धूम धाम से यहाँ मनाई जाती है वैसी किसी और कालेज में आपको देखने को नहीं मिलेगी, वर्ष २००२ से २००५ तक की क्लास ९ से १२ तक के अध्ययन के दौरान हम यहाँ हुए कई कार्यक्रम और आयेहुए अतिथियों के साक्षि रहे, थोड़ी बात सरदार की भी बनती है जो अगरदेश के प्रधान मंत्री बने होते तो आज कश्मीर कोई मुद्दा नहीं होता कोई धरा ३७० के मोहताज हम नहीं होते लेकिन नेहरू ने सब गुणगोबर कर दिया !सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने। बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है। बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिये ही उन्हे पहले बारडोली का सरदार और बाद में केवल सरदार कहा जाने लगा।सरदार पटेल जहां पाकिस्तान की छद्म व चालाकी पूर्ण चालों से सतर्क थे वहीं देश के विघटनकारी तत्वों से भी सावधान करते थे। विशेषकर वे भारत में मुस्लिम लीग तथा कम्युनिस्टों की विभेदकारी तथा रूस के प्रति उनकी भक्ति से सजग थे। अनेक विद्वानों का कथन है कि सरदार पटेल बिस्मार्क की तरह थे। लेकिन लंदन के टाइम्स ने लिखा था "बिस्मार्क की सफलताएं पटेल के सामने महत्वहीन रह जाती हैं। यदि पटेल के कहने पर चलते तो कश्मीर, चीन, तिब्बत व नेपाल के हालात आज जैसे न होते। पटेल सही मायनों में मनु के शासन की कल्पना थे। उनमें कौटिल्य की कूटनीतिज्ञता तथा महाराज शिवाजी की दूरदर्शिता थी। वे केवल सरदार ही नहीं बल्कि भारतीयों के ह्मदय के सरदार थे।
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