आप देखना शुरू कीजिये अभी ख़त्म हुई पारिवारिक लड़ाई पर - शिवपाल बोलता है मिडिया से,- कोई कनफोजन नहीं है सबहि एक है (ये आदमी जो आज सपा और प्रदेश का मालिक बन बैठ है इसको कोई चपरासी की भी नौकरी नहीं देता अगर ये अप्लाई करे तो )
मुलायम - इसका तो भाषण ही नहीं समझ में आता पता नहीं क्या बोलता है, लोहिया के नाम का इस्तेमाल किया बुढ़ापे में शादी किया और पता नहीं क्या क्या किया और नोटबंदी पर एक हफ्ते की मोहलत भी मांगता है, कोई एक दो घण्टे की मोहलत मांगता है तो समझ लो की उसके पास करोडो रूपये होंगे लेकिन अगर कोई एक हफ्ते की मोहलत मांगता है तो समझ सकते है की पता नहीं कितना काला धन होगा उसके पास !
अखिलेश के बारे में क्या कहु थोड़ा बहुत ठीक लगा अपने ड्रामे वाले एपिसोड में पर क्लाइमैक्स देख कर अंदाज लग ही गया की ये भी वही है सब मिले जुले है , जैसे चोर चोर मौसेरे भाई - भाई इसने तो खली ड्रामा किया अछा बनने का, चुनाव के टाइम ही क्यों जगा
तो मतलब ये है कहने का की यूपी चुनाव में किसी भी पार्टी को जीत दिलवाइये, कुत्ते बिल्ली को सीएम की गद्दी पर बिठा देना पर इन बेवकूफ गुंड़ो को तो कभी नहीं, अन्यथा ये कही के नहीं छोड़ेंगे यूपी को दो सौ करोड़ के रथ बनाकर घूमेंगे, बाप मंत्री को बहार करेगा तो बेटा रखेगा, बेटा हटाएगा तो चाचा रखेगा, हजार करोड़ का भ्रस्टाचार करने वाले केवल मुलायम का पैर छू लेते है तो छूट जाते है, मैंने सोचा था की अहीर अब यादव जी बन गए पर अब पता चलता है जब पीजी किये हुए यादव बोलते है की सर्कार का नोटबंदी का फैसला गलत है तो पता चलता है उनकी गूढ़ प्रवित्ति का और ये भी पता चलता है की कितने भी पढ़ ले कोई सुधर नहीं होने वाला वो रहेंगे wahi ke wahi